उत्तराधिकारी - राणा कुंभा (1433-1468 ई.)
पिताजी - राणा मोकल
माताजी - सौभाग्य देवी
उपाधि
"हिन्दू सुरताण"
"अभिनव भरताचार्य"
"राय- रायन"
"राणो. रासो"
राजगुरू, दानगुरू, हालगुरु, छाप गुरु, शैल गुरु
नरपति, अश्वपति
स्रोत - कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति (1460 ई.)
कुंभलगढ़ प्रशक्ति [ कवि महेश ) वीर - विनोद ( कविराजा श्यामलदास ) एकलिंग महात्म्य (कान्ह व्यास)
प्रारंभिक संघर्ष-
1. पिता मोकल हत्या का प्रतिशोध
कुंभा + + रणमल + राघवदेव V's चाचा + मेरा + महपा पंवार
परिणाम - 1) चाचा -मेरा मारे जाते हैं इनका पुत्र एक्का व महपा पंवार माण्डू भाग जाते है।
2. रणमल की हत्या - (1438 ई )
रणमल ने राणा चुंडा के भाई राघवदेव की हत्या कर दी। इसलिए मेवाड़ में रणमल के बढ़ते वर्चस्व को देखकर कुभा द्वारा रणमल - प्रेयसी भारमली द्वारा उसे ज़हर दे दिया गया [1438 ई. ] रणमल पुत्र राव जोधा मारवाड भाग गया ।
हंसाबाई ने माण्डू (मालवा) से राणा चुंडा को बुलाया । राणा चूडा के नेतृत्व में मारवाड़ की राजधानी मण्डौर पर कब्जा कर लिया |
आवल - बावल की सन्धि (1453 ई.)
शर्तें - मेवाड़ -मारवाड सीमा निर्धारण - सोजत (पाली)। राणा कुम्भा पुत्र रायमल और राव जोधा-पुत्री श्रृंगार कंवर का विवाह
3. सारंगपुर का युद्ध (1437 ई.)
मेवाड (राणा कुंभा) vs मालवा (महमूद खिलजी)
परिणाम - राणा मोकल के हत्यारों को शरण देने के
कारण इस युद्ध में महमूद खिलजी
पराजित हुआ |
विजय स्मरण में - विजय स्तम्भ निर्माण (1440-48 ई.)
अन्य नाम -- विष्णु ध्वज/ गरुड़ ध्वज
भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष
हिन्दू देवी- देवताओं का अजायबघर
वास्तुकार - जैता, नाथा, पूंजा
ऊंचाई - 122 फीट
चौड़ाई - 30 फीट
सीढियां - 157
विशेष RBSE का प्रतीक चिन्ह
- RBSE का प्रतीक चिन्ह
राजस्थान पुलिस का प्रतीक चिन्ह
15 अगस्त, 1949 को डाक टिकट जारी |
9वीं मंजिल पर "अल्लाह" शब्द लिखा है।
तुलना - कुतुबमीनार (दिल्ली) कर्नल टॉड
टार्जन टावर (रोम)फर्ग्यूसन
जीर्णोद्धार - महाराणा स्वरूप सिंह
Note - कुंभा ने महमूद खिलजी को 5 बार हराया
4. -मेवाड- गुजरात संघर्ष नागौर-संघर्ष (1456 ई)
राणा कुंभा ने नागौर शासक मुजाहिद खाँ को
हराकर शम्स खाँ को शासक बनाया।
परिणाम
चम्पानेर सन्धि (1456 ई.)
गुजरात ( कुतुदुद्दीन शाह) with मालवा (महमूद खिलजी)
कुंभा ने बदनौर के युद्ध (1457, भीलवाडा) में दोनों
को हरा दिया।
कुंभा की हत्या - पितृहन्ता उदा ने मामादेव तालाब
(कुंभलगढ़) पर हत्या कर दी ।





